पूरे देश में पाबंदी के विरोध में विभिन्न युवा संगठनों के प्रर्दशनों ने आई. आई. टी. मद्रास के प्रबंधकों को आम्बेडकर पेरियार स्टडी सर्कल (ए.पी.एस.सी.) पर लगायी पाबन्दी को हटाने पर मज़बूर कर दिया। यह देश भर के उन संघर्षशील छात्र तथा युवा संगठनों के लिए एक जीत थी जो अपने विचार खुल कर रखने के अधिकार के लिए लड़ रहे हैं। यह हम सब के लिए एक स्फूर्तिदायक विजय है।
मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करने की वजह से, आई. आई. टी. मद्रास के अधिकारियों ने केंद्र द्वारा संचालित मानव संसाधन विकास के कहने पर वहां के एक छात्र संघटन, ए.पी.एस.सी. पर पाबन्दी लगा दी थी। आई.आई.टी. मद्रास के अधिकारियों ने बी. आर. आम्बेडकर की जन्मतिथि के अवसर पर उन्हें परिसर में सभा करने पर प्रतिबन्ध लगाने का अलोकतांत्रिक निर्णय भी लिया था। ए.पी.एस.सी. ने आई. आई. टी. मद्रास तथा अन्य आई. आई. टी. संस्थानों के परिसर में धरने तथा आन्दोलन किये। पूरे देश में भी विभिन्न संघटनों ने उन के समर्थन में प्रदर्शन किये।
आई.आई.टी मद्रास के डीन ने इस छात्रसमूह के ऊपर आचारसंहिता का उल्लंघन करने का आरोप थोप दिया था। मुद्दा यह है कि आज पूरी दुनिया में सरकार जोर-जोर से चिल्लाती है कि हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। लेकिन इस के साथ लोगों की अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबंध लगाती है! यदि हम अपनी देश की नीतियों पर अपनी राय नहीं व्यक्त कर सकते, तो फिर इस देश की नीतियाँ किसके लिए बनायी जाती हैं? लोकतंत्र में विभिन्न राजनीतक विचार रखने का तथा व्यक्त करने का हर व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है!
विरोध कर रहे ए.पी.एस.सी. की निम्नलिखित मांगे थीः
1. आम्बेडकर पेरियार स्टडी सर्कल को मान्यता मिले।
2. अपने अधिकारिक ताकत का गलत इस्तेमाल करने के लिए छात्र प्रशासन डीन अशर्त क्षमा माँगे।
3. एम.एच.आर.डी. (मानवीय संसाधन विकास मंत्रालय) बिना किसी शर्त क्षमा माँगे।
4. अनुच्छेद 19 (ए) के उल्लघंन में अलोकतांत्रिक आचारसंहिता को उलट दिया जाये।
5. सभी स्वतंत्र छात्र निकाइयों को औपचारिक तौर पर मान्यता मिले और वे अपनी सामाजिक, आर्थिक तथा राजनितिक मत प्रकट करने के लिए स्वतंत्र हो।
6. सभी स्वतंत्र छात्र निकाइयों के लिए लोकतान्त्रिक स्थान उपलब्ध हो और उनको समान सुविधाएं जैसे की सभागृह, आई. आई. टी. मद्रास औपचारिक ईमेल अकाउंट, स्थायी अध्ययन कक्ष व साथ में सभा कक्ष, इ. उपलब्ध हो।
स्पार्क (युवकों की आवाज़) पत्रिका के तरफ से ए.पी.एस.सी. के संघर्ष कोे मिली विजय पर उन्हें बधाई देता है। साथ ही साथ देष के सभी छात्र संघटनों तथा युवा संघटनोंको आवाहन देता है कि वे एकजुट हो और इस प्रकार की कोई भी
अलोकतांत्रिक कदम के ख़िलाफ़ आवाज उठायें।
– उग्रसेन