
विद्यार्थियों को तकलीफ देने की अपनी परंपरा को मुंबई विश्वविद्यालय ने जारी रखा है। इस साल मुंबई विश्वविद्यालय ने अप्रेल में हुए परीक्षाओं के रिजल्ट अभी तक घोषित ही नहीं किये हैं। तीसरे वर्ष में पढ़ रहे विद्यार्थियों को अपने रिजल्ट समय पर ना मिलने से काफी मुश्किले पैदा हो रही हैं। कई बच्चों को अन्य विश्वविद्यालयों में आगे की पढ़ाई करनी होती है तो कई अपनी रोजीरोटी के लिये नौकरी करना चाहते हैं। ऐसे में रिजल्ट समय पर न मिलने से उन्हें अच्छे मौकों को गवां देना पड़ता है।
इस साल मुंबई विश्वविद्यालय ने सभी परिक्षाओं के पेपर के मूल्यांकन (पेपर असेसमेंट) ऑनस्क्रीन असेसमेंट के द्वारा करनेका निर्णय लिया। इसमें सभी पेपर स्कॅन किये जाते हैं, फिर प्राध्यापकों को कॅप सेंटर में वो डाउनलोड करके उन्हें ऑनलाइन ही मूल्यांकन देना पड़ता है। आवश्यक सुविधायें ना होने के कारण इस प्रणालि में पेपर चेक करने में काफी देर लग रही है। विद्यापीठ ने स्कॅन करने के लिये ठेके बहुत देरी से जारी किये। उसके अलावा यह निर्णय परिक्षा खत्म होने के बाद लिया गया। प्राध्यापकों में भी इसके बारे में काफी नाराजगी है।
स्पार्क की टीम ने कुछ प्राध्यापकोंसे बातचीत की तो निम्नलिखित बातें सामने आयीं:
1. कई सारे प्राध्यापकों को इस नये प्रणाली में काम करने की टेªनिंग सिर्फ 15 मिनट में दी गयी।
2. इस नयी प्रणाली में काम करने में आवश्यक प्रैक्टिस ना होने के कारण उन्हें नये सौफ्टवेअर इस्तेमाल करने में दिक्कतें आ रही हैं।
3. इस प्रणालि को ठीक से चलने के लिये 20-30 एमबीपीएस इंटरनेट का स्पीड होना चाहिये। अनेक केन्द्रोमें इंटरनेट की स्पीड कम होने से पेपर डाउनलोड होने में ही 15 मिनट चले जाते हैं।
4. कई बार प्राध्यापकों को गलत विषय के पेपर मिलते हैं। फिर उन्हें वापिस भेजने में और नये पेपर डाउनलोड करने में वक्त चला जाता है।
5. अगर पेपर चेक करते वक्त इंटरनेट सेवा बंद हो गयी तो इंटरनेट वापिस आने तक प्राध्यापकों को बैठे रहना पड़ता है।
6. पेपर चेक करने के अलावा प्राध्यापकों को अपने कौलेज में लेक्चर्स लेने पड़ते हैं। कई प्राध्यापकों को अॅडमीशन ड्युटी भी करनी पड़ती है।
7. कई प्राध्यापकों को पेपर मूल्यांकन में देरी के लिये मुंबई विश्वविद्यालय ने धमकी भरे पत्र जारी किये हैं।
8. जब कि पहले 30 पेपर आसानी से चेक किये जाते थे इस नयी प्रणालि में दिन में केवल 7-8 पेपर ही चेक होते हैं।
हम स्पार्क की तरफ से यह मांग करते हैं कि ऑन स्क्रीन मार्क प्रणालि के लिये आवश्यक इंतजाम जल्द से जल्द किये जायें। प्राध्यापकों को होनेवाले समस्याओं को तुरंत सुलझाया जाये। धमकी के पत्रों पर रोक लगायी जाये। इन्ही मांगो को लेकर बुक्टु (बौम्बे युनिवर्सिटी अॅन्ड कौलेज टीचर्स युनियन) संघर्ष कर रहा है। स्पार्क टीम अपनी जायज मांगों के लिये प्राध्यापकों के संघर्ष को पूरा समर्थन देती है और सभी विद्यार्थीयों और युवती-युवकों को इस जायज संघर्ष में जुड़ने का आवाहन करती है।