टैक्स ! टैक्स ! दोस्तों क्या है ये टैक्स ? हमें बताया जाता है हमारे देश में बहुत कम लोग टैक्स भरते हैं । But, ये बात कितनी सच्च है ? इस बारे में यूथ में भी काफी मिथ्स हैं । तो आज हम देखते हैं ये कुछ यूथ टैक्स के बारे में क्या बात कर रहे हैं ।
रवीः हलो, कैसे हो, बहुत इंतज़ार करवाया तूने तो आज। मैं कब से राह देख रहा हूँ तुम्हारी।
संजना: अरे कुछ नहीं यार, बस न्यूज देख रही थी। तुझे पता है क्या? अब GST की वजह से सामान के खरीदने में जो हम टैक्स भरते है, वो कम होगा |
अजय: मैंने भी GST के बारे में न्यूज़ में बहुत सुना है | सभी को यही बातें करते हुए देखा है की GST बहुत अच्छा कदम है | इससे सभी को फायदा होगा | लेकिन अच्छे से पता नहीं है कि ये GST क्या है |
संजना: GST (Goods and Services Tax) लागू होने से पूरे देश में सिर्फ एक ही टैक्स लगेगा सारे सामान और सेवाओं पर, बस कुछ को छोड़ कर | कहते हैं इससे सामान के कीमत कम होंगे और हमारे देश का GDP भी बढ़ेगा |
रवी: दोस्तो जरा और गहराई से सोचो, जो हमें मीडिया में बताया जाता है, वह पूरा सच नहीं होता।
संजना: तो क्या तुम्हारा मतलब, हम जो अखबाऱो में पढ़ते हैं, टीवी में देखते हैं, वो सब झूठ होता है। फिर हमें सच्चाई का पता कैसे चलेगा? कुछ भी बात करता है रवी तू।
रवि: अप्रत्यक्ष कर (indirect tax) से टैक्स बढ़ते है | और GST भी एक अप्रत्यक्ष कर है | तो हमें पहले यह समझना होगा कि अप्रत्यक्ष कर क्या होता है | अप्रत्यक्ष कर, इससे चीजों के दाम कम नहीं बल्कि बढ़ते हैं | इसका हमारे मेहनत से कमाए हुए पैसे को लूटने में उपयोग किया जाता है |
संजना: वह कैसे ?
रवी: मुझे बताओ, आप सभी मोबाईल इस्तेमाल करते हो, रीचार्ज तो करते ही होंगे?
अजय: हाँ तो?
रवी: जब तुम 50 रूपये का रीचार्ज करते हो, तो क्या आपको पूरा टॉकटाईम मिलता है?
संजना: नहीं यार, मुझे तो केवल 44.21 रूपये बॅलन्स आता है, बाकी का पूरा पैसा तो सर्विस टॅक्स आदि में चला जाता है।
रवी: मतलब, चाहे तुम कुछ कमाओ या ना कमाओ, चाहे महिने में 1 लाख रूपये कमाओ या फिर 10,000, यह सर्विस टॅक्स तो सबको भरना पड़ता है। माचीस की तीली से महंगी गाड़िया तक खरीदने के लिये हमें टॅक्स देना पड़ता है।
अजय: बात तो तेरी बिलकुल सही है, इस बारे में मैने सोचा ही नहीं था। आदमी चाहे गरीब हो या आमीर, सभी को टॅक्स भरना पडता है। टीवी में कहते है हम केवल सालाना टॅक्स भरते हैं, लेकिन अगर ऐसे सोचें, तो हम अनजाने में हर रोज़ टॅक्स भरते हैं और कितना भरते हैं वो भी पता नहीं चलता।
संजना: इस बारे में सोचें तो बात यह समझ आती है कि देश की हर औरत या आदमी टॅक्स भरता है। हम विद्यार्थी जिन्हों ने कमाना अब तक शुरू भी नहीं किया उन्हें भी टॅक्स भरना पड़ता है। अजय जैसे दोस्त जो अभी अभी कमाने लगे हैं, जिनकी आमदनी में मुश्कील से उसका घर चलता है, उसे भी टॅक्स भरना पड़ता है।
रवी: जो मीडिया में बताते हैं, वोह पूरा सच नहीं है। इनकम टॅक्स और कार्पोरेट टॅक्स पूरे टॅक्स प्रणाली का महज़ एक हिस्सा है। इन्हे प्रत्यक्ष कर (direct tax) बोलते हैं। टॅक्स का दूसरा हिस्सा होता है अप्रत्यक्ष कर (indirect tax) , जिसमें कस्टम ड्युटी, एक्साइज ड्युटी, सर्विस टॅक्स, मनोरंजन कर आदि शामिल हैं। इन अप्रत्यक्ष करों की सच्चाई मीडिया हमसे छुपाता है। इसिलिये मै कहता हूं की मीडिया पुरी सच्चाई नहीं बताता।
संजना: तेरे बात में दम है यार।
अजय: तूने मेरी आंखे खोल दी।
रवी: दूसरी बात है कि पिछले महिने मैने इसी विषय पर प्रोजेक्ट किया था। उस प्रोजेक्ट के लिये जब इंटरनेट पर छानबीन की तब यह पता चला कि 2014-15 में कुल टॅक्स का दो तिहाई हिस्सा अप्रत्यक्ष करों से और केवल एक तिहाई हिस्सा प्रत्यक्ष करों से आया था। हर एक बजट में प्रत्यक्ष करों में छूटों की बरसात और अप्रत्यक्ष करों में बढ़त, यही चित्र देखने को मिलता है।
संजना: क्या इसका मतलब यह है कि गरीब ज्यादा टॅक्स देता है और अमीर कम टॅक्स देता है?
अजय: अभी में सोचता हूँ तो यही लगता है कि हर कोई जीने के लिये जो भी चीझ़ खरीदता है, उसके लिये वह टॅक्स भरता है तो यह सही है कि अमीर उसकी आमदनी का महज छोटा सा हिस्सा टॅक्स देता है। वहीं, हम जैसे लोग जिनकी आमदनी बहुत कम है वे आमदनी का एक बड़ा हिस्सा टॅक्स भरते हैं।
रवी: बिल्कुल सही, हमें यही सवाल उठाना चाहिये कि हमारे जैसे विद्यार्थी जिन्होंने अभी तक कमाना भी शुरू नहीं किया है, वे टॅक्स क्यों अदा करे? अजय जैसे युवक जो अभी अभी कमाने लगे हैं, जिनकी आमदनी इतनी कम है वे भी टॅक्स क्यों भरें? हमें यह मांग करनी चाहिये कि अप्रत्यक्ष करों को पूरी तरह से हटाया जाये, इनसे हमें यह पता नहीं चलता कि वास्तव में हम कितना टॅक्स भरते हैं।
संजना: रवी तुम्हारे सवाल बिल्कुल ज़ायज हैं। मुझे लगता है कि हमें अपने और दोस्तों से बात करनी चाहिये, उन्हे अप्रत्यक्ष करों की असलियत के बारे में आगाह करना चाहिये। हम अकेले अगर आवाज उठायेंगे तो कोई नहीं सुनेगा। अगर एक साथ आयेंगे तो ही कुछ हो सकता है।
अजय: हाँ, मैं भी अपने दोस्तों से बात करता हुं, उन्हें समझाता हूँ। एकता ही हमारी असली ताकत है।
रवी: ठीक है दोस्तों, हम अपने अपने दोस्तों को इस बारे में बतायेंगे |
संजना: लेकिन यह तो हुआ अप्रत्यक्ष कर (indirect tax) के बारे में | GST का क्या ?
To be continued…