11 year old Santoshi Kumari died of starvation in Jharkhand’s Simdega district after her family’s ration card was allegedly cancelled for not being linked to their Aadhaar number. Before her death, she kept asking for rice (bhaat) from her mother. Her family had to later flee from the village as it was attacked for ‘defaming the village’.
We are here below reproducing related heart-touching piece which appeared on countercurrents.org website.
आधार ही क्या अब जीवन का अधार है
आधार ही से क्या अब जीवन का संचार है
बन्द किवाड़ो के पीछे से सुनाई पड़ती है सिसकती आहें
मैं भूख – एक प्रश्न करती हूँ
एक चिंतित सोच मे धिर गई हूँ
मुझ में और मौत में यह क्या अनोखा रिश्ता है….
ये कोलाहल कैसा ?
यह बेबसी क्यूं ?
पर क्या मेरा वजूद यही है ?
भूख से तिलमिलाती संतोषी मेरे विरह मे प्राण त्याग देती है
उस की” भात भात भात ” कहती जिह्वा अचानक लड़खड़ा कर खामोशियों के आंचल मे हमेशा के लिए सो जाती है
कहीं दूर एक माँ की ऑखो का तारा
उसी के ह्रदय को चीर खून की होली खेल
मुझे तृप्त करता है
क्यों इस देश के कार्यकर्ताओं को मैं दिखाई नहीं देती
क्यो मुझ से पीड़ित लोगों की गुम चीखें
उन के कानो में नहीं गूंजतीं
हाय ! क्यों मैं अधार बन गई हूं लाखों कि मृत्यू का
मैं भूख अपना अधिकार माँगती हूँ
अधिकार कि मैं भी संतुष्ठ रहूँ तृप्त रहूँ
मौत का अधार न बन लोगो की तुष्टि का अधार बनूँ…..