रवि: जैसा कि हम पहले भी बात कर चुके हैं, गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) भी अप्रत्यक्ष कर है। यह एक एकल अखिल भारतीय कर है जो कई अलग-अलग अप्रत्यक्ष करों को जिन्हें माल और सेवाओं के उत्पादन व बिक्री पर लगाया गया था उन्हें हटाता है ।
अजय: रवि, क्या आप कुछ अप्रत्यक्ष करों को बता सकते हैं जिन्हें GST द्वारा हटाया गया है?
रवि: हां, यह केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए उत्पाद शुल्क, विशेष उत्पाद शुल्क, विशेष सीमा शुल्क, केंद्रीय बिक्री कर (CST, सेवा कर, विभिन्न अधिभार और उपकर को हटाता है। यह राज्य सरकारों द्वारा मूल्य वर्धित कर(VAT ),लक्जरी टैक्स,मनोरंजन कर,प्रवेश कर और खरीद कर सहित लगाए गए अप्रत्यक्ष करों को भी हटाता है। मेरे विश्लेषण के अनुसार,GST इस देश के लोगों के हित में नहीं है। इससे बहुत से लोग छोटे और मध्यम उद्योगों और व्यवसायों में अपनी नौकरी खो देंगे और कई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि होगी।
संजना: जब सभी अख़बार कह रहे हैं कि यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है,तो आप यह कैसे कह सकते हैं?
रवि: आप देखते हैं, GST का मुख्य दावा "एक राष्ट्र,एक कर,एक बाजार" है। पुराने सिस्टम में करों में राज्य से राज्य में भिन्नता थी।
संजना: क्यों?
रवि: क्योंकि राज्य सरकारें उनके द्वारा लगाये गए सभी करों की दर वे जो चाहें तैय कर सकती थीं,हालांकि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कर पूरे देश में समान थे। यही कारण था कि आपने गौर किया होगा कि 1 जुलाई से पहले कई पैकेट पर दो MRP मुद्रित किए जाते थे, एक महाराष्ट्र के लिए और दूसरा अन्य राज्यों के लिए। अब कर की दर देश में हर जगह समान है। यही कारण है कि वे 'एक कर' कह रहे हैं
अजय: वे "एक राष्ट्र" क्यों कह रहे हैं?
रवि: अब, उन्हें गोदामों और हर राज्य में अपने सामान का भंडार रखने की ज़रूरत नहीं है, जैसा वे केंद्रीय बिक्री कर(CST),प्रवेश कर आदि को बचाने के लिए करते थे। हम यह समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। गोदरेज महाराष्ट्र में रेफ्रिजरेटर का उत्पादन करता है लेकिन अपने डीलरों के माध्यम से देश भर में उन्हें बेचता है। GST से पहले, अगर वह गुजरात में एक व्यापारी को बेचना चाहता था, तो उसे CST देना पड़ता था क्योंकि यह एक राज्य से दूसरे राज्य में बिक्री थी। जब गुजरात में वह डीलर एक उपभोक्ता को बेचता था, तो गुजरात राज्य का VAT लगता था। इसलिए, गोदरेज के मामले में अगर वह डीलर को सीधे महारष्ट्र से बेचता था, तो दो कर लगते थे,जबकि गुजरात में बने फ्रिज की बिक्री पर सिर्फ़ VAT का भुगतान करना होता था। इस प्रकार, गोदरेज एक स्थानीय गुजरात उत्पादक की तुलना में स्पर्ध्धा में पीछे पड़ता था। इस नुकसान से उबरने के लिए, गोदरेज को गुजरात में एक गोदाम खोलना पड़ा और महाराष्ट्र में अपने कारखाने से रेफ्रिजरेटर को गुजरात में अपने गोदाम में स्थानांतरित करना किया और फिर वेयरहाउस से डीलर को बेचा। तब केवल गुजरात VAT का भुगतान करना पड़ता था और CST देने से बचा जाता था। हालांकि,इस वजह से गोदरेज को हर राज्य में जहां वह बेचना चाहता था एक गोदाम रखने और अपने रेफ्रिजरेटर को स्टॉक करने के लिए मजबूर होना पड़ता था। इससे बहुत खर्च होता था। GST के बाद,यह आवश्यक नहीं है। अब बिक्री के उद्देश्य से, पूरा देश एक राष्ट्रीय बाजार है, जिसे GST से पहले विभिन्न राज्य बाजारों में बांटा गया था। इसलिए,GST के बाद नारा लगा रहे हैं "एक राष्ट्र" का।
संजना:'एक बाज़ार'के बारे में क्या?
रवि: मुझे जो समझ में आया वह है कि GST के बाद सभी राज्य अवरोधों को हटा दिया गया है। कोई जकात नहीं, राज्य की सीमाओं पर अब जाँच नहीं होगी। पूरा देश ‘एक बाजार’ है। आप उत्पादन जहाँ कहीं भी उत्पादन खर्चा सबसे सस्ता है वहाँ कर सकते हैं, और जहां आपके उत्पाद की मांग है वहाँ बेच सकते हैं।
अजय: क्या यह सब हमारे लिए अच्छा नहीं है?
रवि: इसे समझने के लिए, हमें यह पता करने की कोशिश करनी चाहिए कि GST से कौन अधिक से अधिक लाभ उठाएगा और किसे नुकसान होगा। फिर से हम एक उदाहरण के साथ जवाब खोजने का प्रयास करें। साबुन बड़े अंतरराष्ट्रीय उत्पादकों जैसे यूनिलीवर और विशाल उत्पादकों में गोदरेज जैसे भारतीय उत्पादकों द्वारा उत्पादित किए जाते हैं। स्थानीय व्यवसायियों द्वारा तालुका के छोटे कारखानों में भी उन्हें उत्पादित किया जाता है। उनके सभी उत्पादन कस्बों और आसपास के गांवों में बेचे जा सकते हैं, जबकि यूनिलीवर और गोदरेज को साबुन बेचने के लिए पूरे देश के बाजार की जरूरत है। उनके लिए, यहां तक कि देश भी छोटा पड़ता है, इसलिए वे अन्य देशों को भी निर्यात करते हैं। क्या आपको याद नहीं है कि अंग्रेजों ने भारत को उपनिवेश क्यों बनाया था? उन्हें अपने वस्त्र और मशीनरी बेचने के लिए भारत के बड़े बाजार की जरूरत थी।
अजय: यह सही है। क्या इसका मतलब यह है कि हमारे देश के बड़े उत्पादक अब देश में हर जगह आसानी से बेच सकते हैं और छोटे और मध्यम उत्पादकों को नष्ट कर सकते हैं जिस तरह ब्रिटिश ने हमारे विश्व-प्रसिद्ध वस्त्र उत्पादकों को नष्ट कर दिया?
रवि: हाँ,तुम बिल्कुल सही हो। छोटे उत्पादक के लिए जो भी उत्पादन होता है, एक शहर या ज़िले या फिर राज्य का बाजार बेचने के लिए काफी होता है। राज्य अवरोधों और CST को हटाने से,अब गोदामों की कोई आवश्यकता नहीं है। और माल के यातायात की गति भी बढ़ जाएगी । बड़े उत्पादक अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। छोटे उत्पादकों को इनमें से कोई भी लाभ नहीं मिलेंगे।
संजना: क्या यही वजह है कि इतने सारे छोटे उत्पादक और व्यापारियों ने GST के बारे में शिकायत की है?
रवि: मैंने मेरे किराना दुकान के मालिक से बात की। वह मुझे बता रहा था कि GST से सम्बंधित जो कुछ भी करना है,वह कंप्यूटर और इंटरनेट के जरिए ही करना है, GST रिटर्न फिल्लिंग से GST के भुगतान तक। लेकिन, उसने तो कंप्यूटर या इंटरनेट का कभी उपयोग नहीं किया है वह केवल अपने मोबाइल फोन पर WhatsApp का इस्तेमाल करता है । वह शिकायत कर रहा था कि उसे अब कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन खरीदना पड़ेगा और उन्हें चलाने के लिए एक व्यक्ति को नियुक्त करना पड़ेगा। उसने आगे मुझे बताया कि उसका व्यवसाय पहले तो नोटेबंदी के कारण कम हो गया और वह जो कम मुनाफ़ा कमा रहा था अब GST के कारण वह और कम जाएगा।
संजना: क्या देश में हर छोटे उत्पादक और व्यापारी को इससे परेशानी नहीं होगी?
रवि: हाँ, वे सभी चिंतित हैं। इस सब का परिणाम यह है कि GST बड़े उत्पादन/व्यापारिक कंपनियों के लाभ में वृद्धि करेगा। छोटे और मध्यम स्तर के स्थानीय उत्पादकों/व्यापारियों कारोबार को हड़पने के माध्यम से GST बड़े उत्पादकों/ व्यापारियों के कारोबार में भी वृद्धि करेगा।
अजय: रवि, अब मैं समझ गया कि बड़े उत्पादक/व्यापारियों को फायदा होगा और छोटे उत्पादक/व्यापारी कारोबार खो देंगे। लेकिन, यह हम जैसों को कैसे नुकसान पहुँचाता है?
रवि: मैंने यही प्रश्न कुछ विशेषज्ञों से पूछा। उन्होंने मुझे बताया कि देश में छोटे और मध्यम उद्यमों, उत्पादकों, सेवा प्रदाताओं और व्यापारियों से 90 प्रतिशत रोजगार उपलब्ध होता है। अगर लघु उद्यमों के कारोबार बंद हो जाएँगे तो, लाखों कर्मचारी अपनी नौकरी खो देंगे। नौकरी की स्थिति जो पहले से बहुत खराब है, वह और बदतर हो जाएगी। जब हम नौकरी के लिए निकलेंगे तो हमारा क्या होगा?
संजना: हाँ अजय, हमें यह नहीं पता था कि GST हम छात्रों को भी चोट पहुंचाईयेगी। शुक्रिया रवी, हम सभी को यह सब समझाने के लिए जो हम सभी से छिपा हुआ था ।
रवि: मुझे धन्यवाद मत दीजिए। यहां तक कि हमारे माता-पिता जो कार्यालय में काम कर रहे हैं उन्हें भी चिंता करने की आवश्यकता है।
अजय: क्यों?
रवि: अजय देखो, क्या GST ने कई सेवाओं की कीमतों में बढ़त नहीं की है, जो हम सभी उपयोग करते हैं जैसे कि मोबाइल फोन और बिजली? स्वास्थ्य देखभाल, बैंकिंग, घर किराए और स्कूल की फीस जैसी अन्य सेवाओं के साथ भी यही हुआ है।
संजना: हां, अब मैं समझ सकता हूं कि सरकार भ्रामक प्रचार के माध्यम से हमें कैसे मूर्ख बनाती है। अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) या GST लोगों के लिए कभी अच्छा नहीं होगा, बल्कि लोगों पर हमेशा टैक्स का बोझ बढ़ायेगा। और मीडिया इन अमीर लोगों के एजेंडे के लिए ही काम करती है। इसलिए हम मीडिया पर भरोसा नहीं कर सकते हैं और न ही हम सरकार की बातों पर भरोसा कर सकते हैं। उनके सभी कदम देश के सबसे अमीरों के लाभ में होते हैं।
अजय: धन्यवाद रवि, इस चर्चा ने मुझे GST के बारे में बहुत स्पष्ट किया।
रवि: धन्यवाद दोस्तों, लेकिन हमें इस ज्ञान को हमारे मित्रों और दूसरों के बीच भी फैलाना चाहिए।
संजना: बहुत अच्छा कहा, रवि। हम सभी अपने दोस्तों के साथ चर्चा करेंगे और जहां भी संभव हो GST के सच्चे उद्देश्य के बारे में उन्हें सचेत करेंगे। मुझे अब विश्वास है कि GST केवल अमीर लोगों को अमीर बनाने में मदद करेगा और हम सभी के लिए नुकसानदायक होगा।
अजय: हाँ संजना, मैं इस पर अपने दोस्तों के साथ भी चर्चा आयोजित करूँगा ।
रवि: हाँ अजय, हम सभी इसे फैलाने और इस तरह की चर्चाओं का आयोजन करने के लिए एक-दूसरे की मदद करेंगे। तो हम फिर से मिलेंगे। बाद मे मिलते हैं, दोस्तों।
अजय: हां फिर से मिलेंगे … बाय दोस्तों …
संजना: हां फिर से मिलेंगे …