भगत सिंह को आज पूरा देश एक शहीद के नाम से जानता है. 23 मार्च का दिन जिस दिन उन्हें फांसी पर चढ़ाया गया था, शहीद दिवस के नाम से मनाया जाता है. उन्होंने देश की आजादी की लिए जान दे दी लेकिन उनका आजादी का सपना अलग था. उनके लिए आजादी का मतलब केवल अंग्रेजों को भगाना नहीं था. तो वोह क्या था ? उन्होंने युवकों के एक संगठन – हिंद नौजवान सभा – की स्थापना की और बाद में वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय कार्यकर्ता बने. इन संगठनों का क्या मकसद था? आईये, यह सब हम भगत सिंह द्वारा दिये गए बयानों व लेखों से समझने की कोशिश करेंगे.
(स्पार्क टीम: भगत सिंह को आज कल बहुत लोग श्रद्धांजलि देते हैं और उनका जय जयकार करते हैं लेकिन उनके जीवन के क्रान्तिकारी पहलू को युवकों से जान बूझकर छुपाया जाता है. हम इस श्रंखला के द्वारा उसे उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं. )