
(धर्मराज कुमार द्वारा लिखित इस कविता को पुनःप्रकाशित करने के लिए हम उनका आभार प्रकट करना चाहते हैं)
अजीब हैं जे एन यू की लड़कियाँ,
जिन्हें आपके वोट से चुना हुआ नेता,
समझता है चरित्रहीन,
गिनता है कंडोम,
ढूँढता है क्लीवेज,
घूरता है ब्रा,
उनके समर्थक बुलाते हैं,
उन्हें रंडी,
जेएनयू को बताते है,
देश का सबसे सस्ता,
कोठा।
उसी जेएनयू की लड़कियाँ,
लड़ जाती हैं,
अपने घरवालों से,
तथाकथित नेताओं के
नापाक मंसूबों के खिलाफ,
सत्ता की भेजी पुलिस और सीआरपीएफ से,
मार खाते हैं,
सड़क पर घसीटे जाते हैं,
उनकी माथे से बह उठता है खून,
लाठी खाने के बाद,
उसी जगह से जहाँ,
उनके उम्र की लड़कियों में,
आसपास ढूँढते हैं,
गले में पितृसत्ता का पट्टा,
और लंबी रेखा में फैला सिंदूर।
जेएनयू की लड़कियाँ,
लड़ रही हैं,
कंधे-से-कंधे मिलाकर,
अपने साथियों के साथ,
जिससे आपके पुश्तों की पढ़ाई,
जारी रह सके,
और पीढ़ियाँ अनपढ़ न रह जाए।
Dharmaraj Kumar
sach main aisi hoti hain JNU ki Ladkiyaan ♥️♥️