बिना रुके, बिना झुके, बिना डरे, बिना थमे,
बिना किसी परवाह के, तू आगे को अब कूच कर,
ये रास्ता मुश्किल सही है सारे अपने साथ में,
आ लेकर आगे चल भविष्य अपने हाथ में,
तू चल, तू चल…
दुश्मन, खड़ा है आज अपने खुनी भेस में,
जूनून का सैलाब आज उठा है सारे देश में
सैलाब ये मनसूबे तेरे ख़ाक में मिलायेगा
तूफ़ान हमारे हौसलों का रूह तेरी राख करके जाएगा
तू चल, तू चल…
तू जितना मुझको लड़ाएगा, दबाएगा, डराएगा,
सर उतना सरफ़रोशी में बस ऊपर उठता जाएगा।
देखें कितना जहर है तुझमे खोल अब तू तेरा फन,
ये लड़ाई अब रोकेगी मेरी जीत या मेरा कफ़न।
तू चल, तू चल…
उठ रहा हर ओर से देश का फरमान है,
जीत लेंगे लोग अपना हक, यही अरमान है
हुकूमत से डरके चुप रहू ये हो नहीं सकता है अब
इंक़लाब जिंदाबाद का नारा गाये हर एक लब
तू चल, तू चल…
आग मेरे सीने में है आज क्रांति की लगी,
इसकी रौशनी किसी को न दिखे मुमकिन नहीं
तू जितनी फूँक मारेगा ये उतनी बढ़ती जायेगी,
तेरे कौमी हमलो को, तेरे सारे जुमलों को
नापाक है इरादे जो, नकाब जिसने पहना हो,
उन सबको ये ज्वाला मेरी राख में मिलाएगी
तू चल, तू चल…